सोमवार को सेवा सहकारी समिति के सदस्यों ने हड़ताल शुरू कर दी है। सोसाइटियों में कामकाज बंद हो गया है। धान का उपार्जन में सूखत का प्रावधान करने, धान खरीदी में प्रासंगिक व्यय और सुरक्षा खर्च को 12 रुपए से बढ़ा कर 30 रुपए करने जैसे पांच सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया है
धान खरीदी को अब 13 दिन शेष रह गए हैं। 1 नवंबर से खरीदी शुरू होगी। अगले हफ्ते दिवाली है, त्योहारों के बाद ही धान खरीदी की तैयारी शुरू हो जाएगी। इससे पहले समितियां हड़ताल पर चली गई हैं। धान खरीदी के लिए सोसाइटियों या उप समितियों में खरीदी नहीं हो पाएगी।
समिति प्रबंधकों की ये हैं मांग- सोसाइटी प्रबंधक संघ के सचिव युगल किशोर पटेल ने बताया कि उनकी 5 सूत्रीय मांगे हैं। मांगों धान उपार्जन में सूखत का प्रावधान करने, धान खरीदी में प्रांसगिक व्यय और सुरक्षा व्यय को 12 रुपए बढ़ा कर 30 रुपए प्रति क्विंटल करने, धान खरीदी में कमीशन 32 रुपए से बढ़ा कर 50 रुपए करने, चार सालों से जो बारदाने की उपयोगिता शुल्क प्रदान करने, धान का उठाव समय पर किया जाए या उक्त धान पर सूखत के लिए समिति के कोई कर्मचारी जिम्मेदार नहीं होगा धान पंजीयन में किसी तरह गड़बड़ी होने पर समिति के किसी भी कर्मचारी को दोषी ना माना जाए।
प्रबंधक हड़ताल पर खरीदी केन्द्रों में कोई व्यवस्था नहीं
- चबूतरे का निर्माण अब भी अधूरा
बिंजकोट में चबूतरे के लिए जगह बनाकर उसे घेर लिया, लेकिन उसका निर्माण अधूरा छोड़ कर काम बंद कर दिया गया है। शेड भी नहीं बनाया जा सका है। यह उप खरीदी केन्द्र को पिछले साल ही इसकी स्थापना की गई है। यहां आसपास के गांवों के लोग यहां पर धान बेचते है।
- खुले में होगी धान की खरीदी
गढ़उमरिया में पिछले साल धान खरीदी केन्द्र बनाया गया था, लेकिन वहां पर किसी तरह की कोई निर्माण नहीं हो सका है। वहां पर भी इस साल धान खुले आसमान में ही बेचा जाएगा। वहां खेत के एक हिस्से पर धान उपार्जन केंद्र बनाया गया है। अस्थायी जगह इस बार धान रख करके खरीदी होगी।
प्रबंधक नए उपकेंद्रों में इंतजाम नहीं नुकसान पर जिम्मेदार
सोसाइटियों के खातों में यह रकम जमा नहीं हो सका है। सालभर बीतने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होने से वे निराश हैं। पिछले साल सरकार ने धान खरीदी उपकेंद्र बनाए थे, वहां सालभर बाद भी कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है। वहां पर ना तो धान को रखने के लिए चबूतर बन पाए और ना शेड का निर्माण हो पाया है।
दरअसल पिछले साल तक सरकार खरीदी केन्द्रों और उप केन्द्रों में मनरेगा के तहत निर्माण कार्य कराना था, पर उसमें फिर केन्द्र सरकार ने रोक लगा दी गई। अब उसमें किस तरह से निर्माण करना है, यह तय नहीं हो सका है।
अधिकांश सोसाइटियों में स्थायी व्यवस्था कर ली गई पूरी
अधिकांश धान खरीदी या उप खरीदी केन्द्र में स्थायी तौर पर चबूतरे बना लिए है, शेड भी बना दिया है। पिछले साल जो घोषणा हुई है, वहां पर सारी व्यवस्थाएं नहीं हो पाई है। इस संबंध में बड़े अफसरों बातचीत करके इस मामले में कुछ फैसला लिया जाएगा। मनरेगा कामकाज नहीं कराया जा सकता है, सोसाइटियों में।
चंद्रशेखर जायसवाल, उपपंजीयक, सहकारिता विभाग