निशक्त से दुष्कर्म के आरोपित को उम्रकैद की सजा सुनाई। मामले में धारा 450, 376 के तहत आरोपित सनत कुमार मेहर को धारा 450 में दस वर्ष सश्रम कारावास तथा पांच सौ के अर्थदंड से दंडित किया। राशि नहीं पटाई जाने पर एक माह का अतिरिक्त कारावास तथा धारा 376 में उम्रकैद की सजा तथा एक हजार रुपए दंड से दंडित किया है। राशि नहीं पटाई जाने पर अतिरिक्त कारावास कि सजा से दंडित किया है। दोनों सजा साथ -साथ चलेंगी। पैरवी जिला लोक अभियोजक मनीष चौबे ने की।
घटना 26 जुलाई 2017 की है। दुष्कर्म की पीड़िता बचपन से ही गूंगी विकलांग एवं मंदबुद्धि थी उसे घर पर छोड़कर माता पिता खेती किसानी में गए हुए थे तथा पीड़िता का भाई स्कूल गया हुआ था। लगभग 11 बजे पीड़िता की मां प्यास लगने पर पानी पीने अपने घर आई तो देखी की अभियुक्त उसकी लड़की, पीड़िता के साथ दुष्कर्म कर रहा था। पीड़िता की मां को देखकर आरोपित भाग गया। उक्त घटना को पीड़िता के मां ने खेत में काम कर रहे अपने पति को जाकर बताई तथा थाना जरहागांव जाकर उक्त घटना की रिपोर्ट पीड़िता की मां द्वारा दर्ज कराया गया। इस पर विवेचना के बाद अंतिम जांच प्रतिवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। पीड़िता की मां का विवेचना के दौरान धारा 164 का कथन न्यायालय के समक्ष दर्ज करवाया गया था। इसी तरह न्यायालय में गवाही के दौरान शारीरिक रूप से निशक्त साक्ष्य दर्ज करने के लिए नियुक्त विशेषज्ञ साक्षी की सहायता से पीड़िता की गवाही लेने के लिए न्यायालय द्वारा निर्णय लिया गया। पीड़िता से न्यायालय द्वारा बातचीत एवं इशारे के द्वारा सवाल पूछे गए जिस पर पीड़िता ने आरोपित को पहचानते हुए इशारे से अपने साथ हुए दुष्कर्म की जानकारी न्यायालय में परीक्षण के दौरान दी गई थी। इसे देखते एवं समझते हुए दुष्कर्म के तथ्य को सही पाया था। इस प्रकरण में पीड़िता की मां पीड़िता के साथ हुए दुष्कर्म की प्रत्यक्षदर्शी साक्षी थी। लोक अभियोजक मनीष चौबे द्वारा पीड़िता एवं उसकी मां के अलावा नौ अन्य साक्षियों का परीक्षण कराया गया। न्यायालय द्वारा अभियुक्त सनत कुमार मेहर को मंद बुद्धि तथा निशक्त पीड़िता के साथ किए गए अत्यंत गंभीर अपराध को देखते हुए अभियुक्त के प्रति नर्मी नहीं बरतते हुए उम्रकैद के कठोर दंड से दंडित किया।