( संविधान शक्ति न्यूज़ ) :- रायपुर में चल रहे आदिवासी महोत्सव में कई तरह के स्टॉल भी लगाए गए हैं। यहां एक ऐसा स्टॉल भी है, जिसमें रखी घड़ियों और किताबों में लिखी बातों को देखकर लोग रुक जाते हैं। यहां रखी उल्टी घूमने वाली घड़ियों को देखकर सभी हैरान रह जाते हैं।
दरअसल, ये आदिवासी गोंडवाना समाज की खास घड़ियां हैं। ये वक्त वैसा ही बताती हैं जैसा की आम घड़ियां, मगर इनमें नंबर और कांटों का रोटेशन बाएं से दाएं की तरफ होता है। इन एंटी क्लॉक वाइस रोटेट होने वाली घड़ियों के पीछे आदिवासी संस्कृति की एक खास मान्यता भी छुपी है।

गोंड आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एंटी क्लॉक वाइस रोटेट होने वाली घड़ियों का ही इस्तेमाल करते हैं। रायपुर जैसे शहरी माहौल में इन्हें देखना लोगों के लिए अलग ही एक्सपीरिएंस है। गोंडवाना समाज की संस्कृति और साहित्य के बारे में बताने के लिए रायपुर के बसंत पर्ते ने स्टॉल लगाया है।
बसंत ने बताया कि इन घड़ियों को हम गोंडवाना टाइम्स के नाम से जानते हैं। गोंडवाना आदिवासी समुदाय के लोग अंग्रेजों की बनाई घड़ी के दाएं से बाएं घूमने के सिद्धांत से सहमत नहीं। पुरातन काल से ही वो समय को बाएं से दाएं घुमता हुआ ही मानते हैं। गोंडवाना टाइम्स की घड़ियां आम घड़ियों की मशीन में पार्ट्स को उल्टा लगाकर तैयार किए जाते हैं।

ये है इसके पीछे मान्यता
बसंत ने बताया कि गोंडवाना समाज प्रकृति के नियमों और सिद्धांतों पर चलता है। बसंत ने बताया कि पृथ्वी भी दायें से बायें ओर घूमती है। सूर्य, चंद्रमा और तारे भी इसी दिशा में अंतरिक्ष में यात्रा करते हैं। यहां तक कि नदी-तालाब में पड़ने वाले भंवर और पेड़ के तने से लिपटी बेल सभी की दिशा यही होती है। कुदरत की परिक्रमा के इस नियम को ही गोंडवाना समुदाय के आदिवासी अपने जीवन में मानते हैं। इतना ही नहीं गोंड आदिवासी समुदाय में शादी के वक्त फेरे भी एंटी क्लॉक वाइस होते हैं। धार्मिक जगहों पर बनने वाले स्वास्तिक को भी गोंड आदिवासी इन्हीं मान्यताओं की वजह से बाएं तरफ से बनाते हैं।
बसंत ने बताया कि पूवर्जों ने उन्हें बताया है कि सेमी, लौकी, करेला, कद्दू की लताएं भी एंटी क्लॉक वाइस बढ़ती हैं। खेतों की जोताई करने किसान हल भी दाएं से बाएं ही चलाते हैं। तेल निकालने में उपयोग होने वाली घानी (कोल्हू) में भी बैल दाएं से बाएं ही घूमता है। छत्तीसगढ़ के गोंड आदिवासियों के अलावा गोंडवाना टाइम्स और प्रकृति के इन नियम कों को महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, मध्यप्रदेश में रहने वाले गोंड आदिवासी भी मानते हैं।

अंग्रेजों का सीधा आदिवासियों के लिए उल्टा
अंग्रेजों की बनाई घड़ियों में सेकंड का कांटा दाएं से बाएं घूमता है। इसे आदिवासी समुदाय उल्टा मानता है। प्रकृति से जुड़ी उनकी सोच के मुताबिक आम घड़ियां प्रकृति के दिशा से उल्टी हैं. इसलिए वो उनका इस्तेमाल नहीं करते। आम घड़ियों की चाल को गोंड आदिवासी उल्टा मानते हैं। इनके मुताबिक प्रकृति जिस दिशा में परिक्रमा करती है वही इनके लिए सीधी दिशा है।